महिला समानता दिवस: आईटीसी विवेल का ‘रेस्पेक्ट वर्क फॉर होम’ अभियान

महिला समानता दिवस: आईटीसी विवेल का ‘रेस्पेक्ट वर्क फॉर होम’ अभियान

गुवाहाटी: पिछले 18 महीनों के दौरान विश्व नए स्वरूप में ढला है और इसके कामकाज का तरीका भी बदल गया है। बाजार खुलने के साथ ही पेशेवरों के लिए कामकाज के प्रभावी मॉडल लागू किए गए हैं, वहीं घरेलू महिलाओं के लिए यह दौर कष्टकारी और चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। महिलाओं को दशकों से कई सारी भूमिकाएं और जिम्मेदारियां निभानी पड़ रही हैं लेकिन कामकाजी पेशेवरों और घरेलू महिलाओं के बीच अपेक्षाओं को लेकर भेदभाव की खाई नहीं मिटी है। घरेलू महिलाओं को शायद ही अपने काम के लिए सराहना, सम्मान और पहचान मिल पाती हैं।

इस साल महिला समानता दिवस के मौके पर आईटीसी विवेल ने अपने ‘अब समझौता नहीं’ के ब्रांड सिद्धांत के जरिये अपेक्षाओं की इस खाई को पाटने के लिए एक समावेशी कदम उठाया है। कंपनी ने अपनी ‘रेस्पेक्ट वर्क फॉर होम’ मुहिम के जरिये घरेलू महिलाओं के उद्यमशील, अथक और बिना शर्त योगदान को सम्मानित करने का फैसला किया है।

आईटीसी विवेल एक ऐसे सदियों पुराने लेकिन दरकिनार किए मसले को लेकर आई है जिसमें न सिर्फ लिंग के आधार पर  बल्कि किए गए काम के आधार पर भी भेदभाव किया जाता है। वीडियो आधारित इस मुहिम में ‘विवेल अब समझौता नहीं’ ने समानता के लिए गूढ़ पहल की गई है।

फिल्म में महिलाओं के रोजमर्रा के कार्यों को दिखाया गया है कि ये कार्य किसी भी प्रोफेशनल द्वारा कार्यस्थल पर किए जा रहे कार्य से अलग नहीं है। यह फिल्म समानता के महत्वपूर्ण पहलू को दर्शाती है और हर किसी को कामकाजी प्रोफेशनल्स और घरेलू महिलाओं के कार्यों को बराबर सम्मान देने की वकालत करती है। इस फिल्म में सशक्त महिलाओं के घरेलू कामकाज का वर्णन किया गया है जिन्होंने अपने परिवारों की खुशहाली और बेहतरी के लिए अपनी पसंद से यह काम चुना है।

आईटीसी लिमिटेड में पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स बिजनेस डिविजन के चीफ एक्जीक्यूटिव समीर सत्पथी ने इस मुहिम के समर्थन में कहा, “समानता का अधिकार मौलिक अधिकार है। हालांकि समानता के सही ढांचे में अपेक्षाओं को लेकर असमानता की अक्सर अनदेखी कर दी जाती है। कई सारे दायित्वों का निर्वाह करते हुए सभी मांगें पूरी करना, घर से काम करने या घर के लिए काम करने, दोनों स्थितियां में अनिवार्य माना जाता है। अपनी ‘रेस्पेक्ट वर्क फॉर होम’ मुहिम के जरिये विवेल अब समझौता नहीं अपेक्षाओं की समानता और हर किसी के लिए सम्मान को प्रोत्साहित करने को लेकर महत्वपूर्ण संवाद की राह खोलता है।“

विवेल अपने ‘अब समझौता नहीं’ सिद्धांत के जरिये समानता का जोर—शोर से समर्थन करती है और समाज में लिंग समानता लाने के लिए प्रगतिशील कदम उठा रही है।

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