गुवाहाटी: भारत के अग्रणी फ्रेगरेन्स ब्राण्ड आईटीसी एंगेज द्वारा रीसर्च के ग्लोबल लीडर इपसोस के सहयोग से किए गए पहले लव सर्वे 2021 के तहत न्यू नॉर्मल के दौर में प्यार की बदलती परिभाषा पर अध्ययन किया गया है।
इस अध्ययन में रोमांस के प्रति युवा भारत के बदलते व्यवहार का मूल्यांकन किया गया। एंगेज हमेशा से प्यार और रोमांस की अभिव्यक्ति को नए आयाम देता रहा है।
एंगेज लव सर्वे 2021 का संचालन महानगरों एवं गैर-महानगरों में 18-35 आयुवर्ग के 1199 युवकों और युवतियों में किया गया। सर्वे का संचालन इपसोस रीसर्च प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दिसम्बर 2020 में किया गया था।
इस गुणात्मक सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों से प्यार, रिश्तों, आकर्षण, वर्चुअल बनाम वास्तविक जीवन के रोमांस से जुड़े सवाल पूछ गए। उनसे ये जानने की कोशिश की गई कि न्यू नॉर्मल के इस दौर में प्यार को लेकर उनके विचारों में क्या बदलाव आए हैं। इस अनोखे पहले लव सर्वे 2021 के मुख्य परिणाम हैं:
युवा और प्यार एवं रोमांस को लेकर उनके विचार: 63 फीसदी उत्तरदाताओं ने बताया कि लम्बे समय तक चलने वाले रिश्तों में विश्वास रखते हैं।
वर्चुअल एंगेजमेन्ट के नए नियम: गैर-महानगरों के 36 फीसदी उत्तरदाताओं ने बताया कि इन दिनों भौतिक दूरी के चलते रोमांस में रूकावट नहीं आई है। रोमांस को बनाए रखने और प्यार को बरक़रार रखने के कई तरीके हैं। गैर महानगरों के विपरीत महानगरों में सिर्फ 24 फीसदी उत्तरदाता ही ऐसा महसूस करते हैं।
रिश्तों पर लॉकडाउन का प्रभाव: लॉकडाउन के चलते नए रिश्तों पर तनाव बढ़ गया है- तकरीबन 80 फीसदी सिंगल/ कैजुअल डेटर्स का कहना है कि उनका रिश्ता शुरू होने/ आगे बढ़ने में रूकावट आ रही है। 75 फीसदी उत्तरदाताओं का मानना है कि लॉकडाउन के चलते उनका रिश्ता आगे बढ़ने में परेशानी हो रही है। वहीं दूसरी ओर इससे लोगों को अपने रिश्तों के अर्थपूर्ण पहलुओं को समझने में मदद भी मिली है।
वर्चुअल बनाम वास्तविक जीवन: 98 फीसदी उत्तरदाताओं का कहना है कि वर्चुअल रोमांस वास्तविक जीवन के रोमांस से पूरी तरह अलग है। उनका मानना है कि वर्चुअल रोमांस में प्रमाणिकता की कमी होती है, यह ज़्यादा कैजुअल और रिस्की होता है।
वास्तविक जीवन का रोमांस वर्चुअल रोमांस से है बेहतर: 50 फीसदी उत्तरदाताओं ने बताया कि वर्चुअल दुनिया का रोमांस उन लोगों के लिए बेहतर है जो थोड़े शर्मीले स्वभाव के होते हैं। जबकि महानगरों में 50 फीसदी उत्तरदाताओं का कहना है कि वर्चुअल रोमांस कैजु़अल होता है, इसमें कोई गंभीरता नहीं होती। 46 फीसदी उत्तरदाताओं का कहना है कि वर्चुअल दुनिया का रोमांस कभी कभी खतरनाक हो सकता है।
कोविड से पहले और कोविड के दौरान रोमांस: महामारी के दौरान सकारात्मक शब्दों जैसे ‘एक साथ रहने’ की स्थिति में 23 फीसदी और मौजूदा परिवेश में ‘कैमिस्ट्री’ की दृष्टि से 14 फीसदी की गिरावट आई है। हालांकि नकारात्मक शब्दों जैसे ‘परेशानी’, ‘चिंता’, ‘चिड़चिड़ापन’ इनमें क्रमशः 25 फीसदी, 15 फीसदी और 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जो न्यू नॉर्मल के दौर में रोमांस के बदलते स्वभाव को दर्शाता है।
लॉकडाउन के प्रभाव: महामारी के चलते आइसोलेशन में 85 फीसदी उत्तरदाता अपने रिश्तों का महत्व समझने लगे हैं। लेकिन लॉकडाउन ने 84 फीसदी उत्तरदाताओं को अपने पार्टनर्स के साथ जुड़ने के नए तरीके जानने में मदद की है।
कुल मिलाकर न्यू नॉर्मल के इस दौर में रोमांस में बड़े बदलाव आए हैं। किंतु भावनाओं के रूप में प्यार गहरे रिश्ते बनाने के तरीके जारी रखे हुए है। डिजिटल दुनिया में वर्चुअल रोमांस के अपने पहलु हैं। ऐसे में प्यार को बरक़रार रखने के लिए नए तरीके खोजने की ज़रूरत है। वर्चुअल डेट हो या मुवी मैराथॉन या अचानक वर्चुअल सरप्राइज़, एक दूसरे के साथ वास्तविक रूप में जुड़े रहना बेहद महत्वपूर्ण है। हालांकि हाथ पकड़ कर चलना और बारिश में भीगना- ऐसी चीज़ों का महत्व हमेशा खास बना रहेगा।