कोलकाता: ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) ने भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया हैं और उसे इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस (आईओई) का दर्जा दिया गया है।
इस संदर्भ में आईओई नियमों के तहत सभी वैधानिक, विनियामक और प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं को विधिवत रूप से पूरा किया गया है और जेजीयू को ʺइंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंसʺ के रूप में कार्य करने की स्वीकृति दी गयी है।
आईओई नीति विश्वस्तरीय शिक्षण और अनुसंधान संस्थानों को विश्व स्तरीय शिक्षण और अनुसंधान संस्थान बनने में मदद करने के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता को लागू करने के लिए शुरू की गई थी। ʺइंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंसʺ के चयन और सिफारिश की जिम्मेदारी एक सशक्त विशेषज्ञ समिति को सौंपी गई थी जिसे भारत के माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नियुक्त किया गया था।
ʺइंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंसʺ के रूप में दर्जा दिये जाने के साथ, जेजीयू देश के शीर्ष 10 निजी संस्थानों के एक प्रतिष्ठित समूह में शामिल हो गया है, जिसे विनियामक नियंत्रणों से हटाकर पूर्ण स्वायत्तता दी गई है। ʺइंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंसʺ की तलाश वर्ष 2017 में निजी संस्थानों के लिए ʺयूजीसी (इंस्टीट्यूशंस ऑफ एमिनेंस डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटीज) रेगुलेशन, 2017ʺ और सार्वजनिक संस्थानों के लिए यूजीसी (इंस्टीट्यूशंस ऑफ एमिनेंस के रूप में सरकारी शिक्षण संस्थानों की घोषणा), दिशानिर्देश 2017ʺ के साथ शुरू हुई।
ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक चांसलर और संरक्षक, नवीन जिंदल ने कहा, “विश्व-स्तरीय विश्वविद्यालय बनने की हमारी यात्रा में, हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे और संसाधनों, शैक्षणिक स्वतंत्रता और स्वायत्ता के साथ जेजीयू को सक्षम बनाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे जो जेजीयू को और अधिक फलने फूलने में मदद करेगा। मुझे विश्वास है कि इससे हमें वैश्विक मंच पर संस्थागत उत्कृष्टता के उच्चतम मानकों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। ”
अक्टूबर 2020 में, केंद्रीय कैबिनेट शिक्षा मंत्री, रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की अध्यक्षता में ‘इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस’ पर एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई, जिसके बाद जेजीयू ने भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय से ʺइंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंसʺ (आईओई) का दर्जा दिये जाने का उल्लेख करते हुए आधिकारिक पत्र प्राप्त किया।
जिन संस्थानों को नेशनल इंस्टीच्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क रैंकिंग में शीर्ष 50 में जगह मिली या जो कुछ प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय रेटिंग में शीर्ष 500 में शामिल हैं, वे आवेदन करने के लिए पात्र थे। आखिरकार, केवल 10 सार्वजनिक और 10 निजी संस्थानों का चयन किया गया। सार्वजनिक विश्वविद्यालयों को सरकार से वित्तीय सहायता मिलेगी और निजी संस्थानों को ʺइंस्टीच्यूशन ऑफ एमिनेंसʺ के रूप में दर्जा दिया जाएगा, लेकिन कोई वित्तीय सहायता नहीं मिलेगी, लेकिन वे एक विशेष श्रेणी के डीम्ड विश्वविद्यालय के रूप में अधिक स्वायत्तता के हकदार होंगे।