कोलकाता: कोलकाता का दास परिवार एस.एम.ए. टाइप 1 (स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी) से पीड़ित अपने 4 महीने के बेटे आयुष दास के लिए क्राउडफंडिंग प्लैटफॉर्म इम्पैक्टगुरु डॉट कॉम के ज़रिए पैसे इकठ्ठा कर रहा है। वह इस दुर्लभ बीमारी से जूझ रहा है जो उसके चलने-फ़िरने, खाने, साँस लेने और निगलने जैसी ज़रूरी गतिविधियों को करने से रोक रही है और धीरे-धीरे उसकी माँसपेशियों को भी कमज़ोर कर रही है।
आयुष इस समय अपनी ज़ोलगेन्समा थेरेपी के लिए क्राउडफंडिंग प्लैटफॉर्म के ज़रिए रु. 16 करोड़ की रकम जुटा रहा है। अब तक, आयुष के इम्पैक्टगुरु फंडरेज़र ने 7 दिनों में रु. 5 लाख से अधिक जुटाए हैं। आयुष दास के फंडरेज़र का लिंक: https://www.impactguru.com/fundraiser/support-baby-ayush.
आयुष के पिता, अर्पण दास एक सरकारी कर्मचारी हैं और उनकी पत्नी भी एक प्राइवेट कंपनी में काम करती हैं। आयुष के माता-पिता उसे संपूर्ण और बेहतरीन इलाज प्रदान करके उसकी जान बचाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। हालाँकि, रु. 16 करोड़ की बड़ी रकम उनके अथक प्रयासों में सबसे बड़ी बाधा बन रही है।
नन्हे आयुष को हर पल इस जानलेवा बीमारी से पीड़ित होता देखकर उसके परिवार का दिल टूट जाता है। फिलहाल, उसकी हालत बहुत गंभीर है और कोलकाता के पीयरलेस अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है।
एस.एम.ए. एक बढ़ने वाला न्यूरोमस्कुलर रोग है जो एस.एम.एन.1 जीन में ख़राबी आने के कारण होता है। इससे प्रभावित होने वाले बच्चों में शुरूआत में हाथों-पैरों के ऊपरी और निचले हिस्सों की मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है, लेकिन समय के साथ साँस लेने में दिक्कत और निगलने में परेशानी होती है। एस.एम.ए. आम तौर पर 10,000 बच्चों में से 1 को प्रभावित करता है, और इस समय भारत में एस.एम.ए. से पीड़ित लगभग 800 बच्चे हैं।
एस.एम.ए. के लिए उपलब्ध सर्वोत्तम उपचार ज़ोलजैनस्मा है, जो कि एक जीन प्रतिस्थापन थेरेपी की अमरिकी दवा है, जिसमें एस.एम.एन.1 प्रोटीन की डुप्लीकेट कॉपी होती है। 2 साल से कम उम्र के बच्चे की नस में ज़ोलगेन्समा का एक टीका शरीर में माँसपेशियों के अपक्षय (कमजोर होने और सिकुड़ने) की तेज़ी को रोकने और समय के साथ न कर पाने वाले कामों को सही करने की क्षमता रखता है।