कोलकाता: लघु ऋण उद्योग दो दशकों से अधिक समय से समाज के सबसे गरीब वर्ग के जीवन-स्तर को तेजी से सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। देश के गरीब महिलाओं को रोजगार सृजन के लिए गैर-संपार्श्विक (नॉन-कोलैटरल) ऋण मुहैया कर उनके सबसे कठिन समय में, विलेज फाइनेंसियल सर्विसेस (वीएफएस) और बंधन जैसी संस्थाओं ने मदद का हाथ बढ़ाया है।
ऋण मुहैया करने के अलावा, ये संस्थाए समाज के समग्र विकास के लिए वित्तीय साक्षरता, महिला कौशल विकास, बच्चों की शिक्षा और बेहतर बुनियादी ढांचे जैसे अहम् विषयों पर भी काम करती हैं। इन सेवाओं के अतिरिक्त, अब ये कंपनियां पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण विषय पर जोर दे रहीं है तथा जागरूकता फ़ैलाने का काम कर रही है।
उनके मुताबिक जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न हुई समस्याएं, जैसे कि सामान्य से काम वर्षा, सूखा पड़ना, फसल नष्ट होना, मिट्टी का कटाव आदि का सबसे पहला असर गरीबों पर पड़ेगा और उनकी आजीविका प्रभावित होगी। इसलिए ये वित्तीय संस्थाएं वृक्षारोपण जैसे परियोजनाओं में शामिल होकर या अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए ऋणकर्ताओं के बीच पौधे वितरित कर समाज के सामने उदाहरण प्रस्तुत कर रहीं हैं तथा जागरूकता फैला रहीं है।
![](https://www.thereportingtoday.com/wp-content/uploads/2021/08/VFS-plantation-drive-mask-distribution-initiative-1.jpg)
बंगाल की अग्रणी माइक्रोफाइनेंस कंपनी वीएफएस पर्यावरण प्रदूषण को रोकने और जल संरक्षण जैसे अहम् विषयों पर लगातार जागरूकता फ़ैलाने का प्रयास कर रही है। कंपनी के कर्मचारी प्रत्येक शाखा से जुड़े ऋणकर्ताओं को साथ लेकर पर्यावरण संरक्षण पर विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन करते हैं। इसके अलावा, ऋणकर्ताओं के साथ मिलकर अलग-अलग स्थानों पर पेड़ लगाना तो अब वीएफएस की एक नियमित गतिविधि बन गई है। इस महामारी के दौरान भी कंपनी हर शाखा में ‘ट्री प्लांटेशन एंड मास्क डिस्ट्रीब्यूशन’ (वृक्षारोपण और मास्क वितरण) का विशेष अभियान चला रही है ताकि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए लोग ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए और कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए खुद मास्क का इस्तेमाल करें।
वीएफएस के एमडी और सीईओ कुलदीप माइती के अनुसार, ‘पर्यावरण संरक्षण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है क्योंकि गरीबों का प्रकृति से बहुत सीधा संबंध है। उदाहरण के लिए, गाँव के कई गरीब लोग शाल के पेड़ के पत्तों से खाने के डिस्पोजेबल प्लेट बनाकर अपनी जीविका चलाते हैं। पर्यावरण प्रदूषण के कारण अगर शाल के पेड़ को क्षति पहुँचती है, तो इसका पहला प्रभाव इन लोगों की आजीविका पर पड़ेगा।’
दूसरी तरफ, एनकेडीए की नयी परियोजना ‘वन महोत्सव’ में बंधन भी जुड़ गयी है। सामाजिक विकास कार्यों से जुड़ी बंधन बैंक की शाखा ‘बंधन कोन्नगर’ ने इस वर्ष कुल 1 लाख पेड़ लगाने की योजना बनाई है। पश्चिम बंगाल के अलावा, यह वृक्षारोपण परियोजना बिहार, झारखंड, असम और राजस्थान जैसे राज्यों में भी लागू की जा रही है।