कोलकाता: दिवाली से ठीक पहले आईटीसी लि. की फबेल चॉकलेट्स ने अपनी नई पेशकश ‘फबेल ला टेरे’ को लॉन्च किया है। यह 100% अर्थ पॉज़िटिव चॉकलेट की परिकल्पना के अनुकूल तैयार किया गया अपनी तरह का एकमात्र और अनोखा चॉकलेट वेरिएंट है।
फबेल ला टेरे प्रकृति से प्रेरित है और पृथ्वी के लिए एक नई कल्पना पेश करती है। यह चॉकलेट एक प्रालाइन फॉर्मेट में सिर्फ दो प्राकृतिक सामग्रियों – केरल के इडुक्की पर्वतों से लाए गए भारतीय कोको और कर्नाटक से प्राप्त शहद से बनाई गई है। इस चॉकलेट को 100% भारतीय/सिंगल ओरिजिन चॉकेलट के साथ हाथ से तैयार किया गया है और इसके अंदर 33% शहद भरा गया है।
यह चॉकलेट ग्लूटेन मुक्त, बादाम मुक्त, लैक्टोस मुक्त है और इसमें कोई भी कृत्रिम तत्व, प्रिजर्वेटिव का इस्तेमाल नहीं किया गया है। यह पूर्ण रूप से एक शाकाहारी प्रोडक्ट है। 10 फबेल ला टेरे प्रालाइन्स के एक बॉक्स की कीमत रु. 1500 होगी और शुरुआत में इसे ऑर्डर के हिसाब से बनाकर दिया जाएगा और यह सेवा टॉप 6 मेट्रो शहरों में उपलब्ध होगी।
इस चॉकलेट के सरल संकल्पना को फबेल मास्टर चॉकलेटियर्स ने बिना स्वाद और अनुभव के तत पे समझौता किए एक बेहतरीन एहसास प्रदान किया है। भारतीय कोको बीन में एसिडिक नोट्स होते हैं,जो खाने के बाद अंत में एक कड़वा स्वाद छोड़ते हैं और इसलिए इस प्रोडक्ट में कर्नाटक के शहद का बेहतरीन मेल बनाया गया है। शहद का खुशनुमा फूलों जैसा स्वाद इसमें दोनों सामग्रियों का प्राकृतिक एवं संतुलित एहसास लेकर आता है।
फबेल ला टेरे प्रालाइन की बाहरी बनावट में धरती के तत्वों की झलक नज़र आती है। इसका बाहरी ढांचा 100% डार्क चॉकलेट से बना है, जो धरती की सतह जैसादिखता है औरइसके अंदर कोको एवं शहद का मिश्रण मौजूद है, जो कि हमारी धरती पर करीब तीन चौथाई हिस्से में मौजूद अथाह जल भंडार को दर्शाता है। चूंकि शहद में यह खासियत होती कि यह कम तापमान या फिर रेफ्रिजरेटर में भी तरल बना रहता है, इसलिए यह इस चॉकलेट के कॉन्सेप्ट के अनुकूल एक उपयुक्त सामग्री बनता है।
अनुज रुस्तगी, सीओओ – चॉकलेट, कॉफी, कन्फेक्शनली एंड न्यू कैटेगरी डेवलपमेंट – फूड्स, आईटीसी लि, ने कहा, “‘फबेल अर्थ’ की पेशकश हमारी धरती को बेहतर बनाने की दिशा में उठाया गया पहला कदम है। इसके साथ ही हम उपभोक्ताओं से भी इस पहल में हमारा साथ देने की उम्मीद करते हैं।”
महेंद्र बर्वे, जनरल मैनेजर, प्रोडक्ट डेवलपमेंट, फ़ूड्स डिवीज़न, आईटीसी लि. ने कहा, “हमें गर्व है कि हम एक और अनोखा अनुभव पेश करने में सफल रहे हैं, जो एक चॉकलेट के स्वरूप में हमारी ‘धरती’ की एक नई परिकल्पना दिखाता है और यह अर्थ पॉज़िटिव भी है।”
इस प्रोडक्ट की निर्माण प्रक्रिया के दौरान फबेल ने कार्बन पदचिन्हों को घटाने के प्रयास किये हैं। इसके लिए ना सिर्फ स्थानीय रूप से सामग्रियां प्राप्त की जाती हैं, बल्कि मैन्युफैक्चरिंग एवं लॉजिस्टिक्स गतिविधियों से होने वाले कार्बन उत्सर्जन की भरपाई भी की जाती है। इसे बनाने की प्रक्रिया में यह ध्यान दिया जाता है कि विभिन्न गतिविधियों में होने वाले कुल परिवहन को घटाया जाए, चॉकलेट प्रोसेसिंग/मैन्युफैक्चरिंग तकनीक को कम से कम या पूरी तरह समाप्त किया जाए, और इसके लिए पैकेजिंग सामग्री कंपनी के बड़े वनरोपण कार्यक्रम से प्राप्त की जाए। यह कार्यक्रम धरती के लिए हरियाली निर्माण करने और कार्बन उत्सर्जन रोकने में मदद करता है।